लाल किताब का इतिहास
कहा जाता है कि लंकाधिपति रावण ने सूर्य के सारथी अरुण से यह विद्या प्राप्त की थी। रावण की दुनिया समाप्त होने के बाद यह ग्रन्थ किसी प्रकार के नामक ऐड ’नामक स्थान पर पहुंच गया, जहां इसकी अरबी और फारसी भाषा भी थी। आज भी यह मान्यता है कि यह पुस्तक फारसी भाषा में उपलब्ध है। यह ग्रंथ आजकल पाकिस्तान के पुस्तकालय में सुरक्षित है और उर्दू भाषा में है। लेकिन इस अरुण संहिता या लाल किताब का कुछ अंश गायब है। एक मान्यता के अनुसार एक बार लाहौर में जमीन खोदने का कार्य चल रहा था, उसमें से तांबे की पट्टिकाएं मिलीं जिनपर उर्दू और अरबी भाषा में लाल किताब लिखी मिली। सन 1936 में अरबी भाषा में लाहौर में प्रकाशित की गई और यह प्रसिद्ध हो गई।
लाल किताब के अचूक उपाय
प्रत्येक जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है, लेकिन कुछ कर्मों के आधार पर भी ग्रह आपको अशुभ फल देते हैं। व्यक्ति के कर्म-कुकर्म के द्वारा किस प्रकार नवग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं, आइए जानते हैं:
चंद्र: सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे, माता-पिता, नानी, दादी, सास और उनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट देने और किसी से द्वेषपूर्वक ली वस्तु के कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है।
बुध: अपनी बहन या बेटी को कष्ट देने और बुआ को कष्ट देने, साली और मौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ देता है। इसी के साथ हिजड़े को कष्ट देने पर भी बुध अशुभ फल देता है।
गुरु: अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने या उनके समान सम्मानित व्यक्ति को कष्ट देने और साधु संतों को कष्ट देने से गुरु अशुभ फल देता है।
सूर्य: किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने और किसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है।
शुक्र: अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे और फटे पुराने वस्त्र रखने से शुभ-अशुभ फल देता है।
मंगल: भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल के अशुभ फल शुरू हो जाते हैं। इसी के साथ अपनी पत्नी के भाई (साले) का अपमान करने पर भी मंगल अशुभ फल देता है।
शनि: ताऊ और चाचा से झूठ बोलने करने और किसी भी असहमत करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने और इसी के साथ शराब, माँस खाने पीने से शनि देव अशुभ फल देते हैं। कुछ लोग मकान और दुकान की दूरी से लेने के बाद खाली नहीं करते या उसकी बारी पैसे पसंद करते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।
राहु: राहु सर्प का ही रूप है अत: सपेरे का दिल udude से, बड़े भाई को कष्ट देने से या बड़े भाई का अपमान करने से, ननिहाल पक्ष वालों का अपमान करने से राहु अशुभ फल देता है।
केतु: भतीजे और भांजे का दिल दुखाने और उनका हक नेछीनने पर केतु अशुभ फल देना।) कुत्तों को मारने और किसी के द्वारा मरवाने पर, किसी भी मंदिर को तोड़ने या ध्वजा नष्ट करने पर इसी के साथ ज्यादा कंजूसी करने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी से धोखा देने और झूठी गवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं।
अत: मनुष्य को अपना जीवन व्यवहारस्िथत जीना चाहिए। किसी को कष्ट या छल-कपट द्वारा अपनी रोजी नहीं चलनी चाहिए। किसी भी प्राणी को अपने अधीन नहीं समझना चाहिए जिससे योजनाओं के अशुभ कष्ट पड़ जाए।
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