Bukhara aloo Maharishi Ayurveda Products
आलूबुखारे का पेड़ लगभग 4 से 5 मीटर ऊंचा होता है। इसके फल को आलूबुखारा कहते हैं। यह पर्शिया, ग्रीस और अरब के आस-पास के क्षेत्रों में बहुत होता है। हमारे देश में भी आलूबुखारा अब होने लगा है। आलूबुखारे का रंग ऊपर से मुनक्का के जैसा और भीतर से पीला होता है। पत्तों के भेद के अनुसार आलूबुखारे की 4 जातियां होती हैं। अधिकतर यह बुखारा की ओर से यहां आता है, इसलिए इसे आलूबुखारा कहते हैं। इसके बीज बादाम के बीज की तरह ही परन्तु कुछ छोटे होते हैं। इसका फल आकार में दीर्घ वर्तुलाकार होकर एक ओर फूला हुआ होता है। अच्छी तरह पकने पर यह फल खट्टा, मीठा, रुचिकर और शरीर को फायदेमंद होता है, परन्तु इन फलों को अधिक खाने से वायु रोग और दस्त हो जाते हैं।
Boxer Ali Ayurveda - Wikipedia
स्वभाव को कोमल करता है, आंतों में चिकनाहट पैदा करता है, पित्त बुखार और रक्त ज्वर में लाभकारी है, शरीर की खुजली को दूर करता है प्यास को रोकता है। खट्टा होने पर भी खांसी नहीं करता तथा प्रमेह, गुल्म और बवासीर का नाश करता है।यह ग्राही, फीका, मलस्तंभक, गर्म प्रकृति, कफपित्तनाशक, पाचक, खट्टा, मधुर, मुखप्रिय तथा मुख को स्वच्छ करने वाला होता है और गुल्म, मेह, बवासीर और रक्तवात का नाश करता है। पकने पर यह मधुर, जड़, पित्तकर, उश्ण, रुचिकर, धातु को बढ़ाने वाला और प्रिय होता है। मेह, ज्वर तथा वायु का नाश करता है।
हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)
इसकी अधिकता मस्तिष्क के लिए हानिकारक हो सकती है।
विभिन्न रोगों में उपचार
पेट साफ करने के लिए :
आलूबुखारे को पानी में घिसकर पीने से पेट साफ हो जाता है।
वमन (उल्टी) :
Bukhara aloo ayurvedic dr in bay area
आलूबुखारे को पीसकर नींबू के रस में मिलाकर उसमें कालीमिर्च, जीरा, सोंठ, कालानमक, सेंधानमक, धनिया, अजवायन बराबर मात्रा में मिलाकर चटनी की तरह बनाकर खाने से उल्टी आना बन्द हो जाती है।पके हुए आलू बुखारे के रस को पीने से उल्टी आना बन्द हो जाती है।
मुंह सूखने पर :
आलूबुखारे को मुंह में रखना चाहिए।
वमन (उल्टी) :
आलूबुखारे को पीसकर नींबू के रस में मिलाकर उसमें कालीमिर्च, जीरा, सोंठ, कालानमक, सेंधानमक, धनिया, अजवायन बराबर मात्रा में मिलाकर चटनी की तरह बनाकर खाने से उल्टी आना बन्द हो जाती है।
पके हुए आलू बुखारे के रस को पीने से उल्टी आना बन्द हो जाती है।
कब्ज :
Bukhara aloo What is Ayurveda? - Ayurvedic
आलू बुखारा खाने से कब्ज़ नहीं होता है।दस्त के आने पर :
आलूबुखारे को खाने से दस्त का आना बन्द हो जाता है क्योंकि यह मल को रोक देता है और कब्ज को मिटाता है।
प्यास अधिक लगना :
आलूबुखारे को मुंह में रखने से प्यास कम लगती है तथा गले का सूखना बन्द हो जाता है।
लू का लगना :
आलूबुखारे को गर्म पानी में थोड़ी देर रखने के बाद उसे मसलकर रख लें। इसे छानकर सेंधानमक मिलाकर पीने से लू खत्म हो जाती है।
पित्त बढ़ने पर :
आलूबुखारे का रस 50 से 100 मिलीलीटर तक या काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर तक सुबह-शाम पीना पित्त को शांत करता है।
पीलिया का रोग :
इसकी चटनी पीलिया में लाभदायक है।
खून की कमी :
आलूबुखारे का रस निकालकर दो गिलास रस प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से खून की कमी के कारण होने वाला रक्तचाप (एनीमिया) खत्म हो जाता है।
गले के रोग में :
दिन में 4 बार आलूबुखारा खाने और चूसने से गले की खुश्की (गले का सूखना) मिट जाती है।
लूबुखारा के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज
No comments:
Post a Comment