पहले आंखों में बसी फिर व दिल में उतर गई पहले - Sana shayari

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Thursday 20 December 2018

पहले आंखों में बसी फिर व दिल में उतर गई पहले

शायरी

पहले आंखों में बसी फिर व दिल में उतर गई पहले आंखों में बसी फिर वह दिल में उतर गई उसका नाम शबनम है जो मुझे दीवाना कर गई जिस तरह महफिल में में लोग मेहमानों के रखते हैं उसी तरह सबनम मैं तुझे अपना दिल में रखते हैं ए खुदा तू चाहे रिश्वत ले ले ए खुदा तू चाहे रिश्वत ले ले बस मेरा एक काम कर दे दुनिया का सारा खुशी मेरी जान शबनम का नाम कर दे

पास आकर दिल धड़का टी हो पास आकर दिल धड़का टी हो दूर जाकर चेंज चुराती हो तुझे शायद मुझसे मोहब्बत है इसीलिए तो तुम मुस्कुराती हो
ना मामा सोना चांदी ना मांगू हीरा मोती रब से दुआ करता हूं जो मुझे मिल जाए सब नम दिए जलाए घर में हमेशा प्यार की ज्योति

जिस ने सिखाया हंसना जिस ने सिखाया मुस्कुराना जिस ने सिखाया हंसना जिस ने सिखाया मुस्कुराना
दोस्तों उस लड़की का नाम है शबनम जिसका मैं हूं बचपन का से दीवाना

ना वह आ सका ना हम जा सके ना वह आ सके ना हम जा सके ना दर्द दिल को किसी को सुना सके
खामोश बैठे हैं उसकी यादों में ना वह याद किया ना हम भुला सके खामोश बैठे हैं उसकी यादों में ना वह याद किया ना हम भुला सके

भरोसा रखो मेरे दोस्ती पर हम दिल किसी का दुखाया नहीं करते भरोसा रखो हमारी दोस्ती पर हम दिल किसी को दुखाया नहीं करते आपका अंदाज मुझे अच्छा लगा वरना हम किसी को दोस्त बनाया नहीं करते

जब कोई हमदर्द ना था तब कोई दर्द ना था जब कोई हमदर्द ना था तब कोई दर्द ना था अचानक एक हमदर्द मिला उसी से हर दर्द मिलागलती तेरी नहीं यह तूने मुझे धोखा दिया गलती तेरी नहीं तूने जो मुझे धोखा दिया गलती तो मेरी है जो मैंने तुझे मौका दिया

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