शेखचिल्ली की कहानी - Sana shayari

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Tuesday 18 December 2018

शेखचिल्ली की कहानी

शेखचिल्ली की कहानी

और उन्होंने अण्डों का झाबा अपने सिर पर रख लिया दो अण्डें से तकदीर बदलने की बात गहराई तक उसके दिमाग में बैठ गई थी
शेखचिल्ली सेठ के साथ साथ चले जा रहे थे और उनके दिमाग ने हवाई किले बनाने शुरु
किए वह सोच रहे थे यह मुझे दो उण्डे देगा इन दो अण्डें से दो चुजे निकलेंगे चुजे बड़े होंगे एक
मुगीई और एक मुगई मुगीई रोज अण्डे देगा बच्चे बनेंगे कुछ दिनों में बहुत ही मुगिईयां हो जाएंगी वे
सभी अण्डे दिया करेंगी अण्डे बेचने
से बहूत आमदनी होगी फिर ती पैसों की कमी नहीं
रहेगी

शानदार बंगला बनवाऊंगा बहुत सी जसीन खरीदकर
डेरि बनाऊंगा दूघ बेचुंगा
दुघ और अण्डें का थोक व्यापारी बन जाऊंगा इस पकार पूरे इलाके में घाक जम जाएगी सब सेरा
माल पसन्द करेंगे और खरीदेंगे काफी दौलतमन्द
बन जाऊंगा जब पास में दौलत हो जायेगी तो बड़े
बड़े लोग अपनी बेटियों के रिश्ते लेकर आएंगे
किसी नवगब की बेटी से शादी करूंगा
बच्चे भी जरूर होंगे बच्चे एक दजन से कम
नहों होने चाहिए

पड़ोसी के आठ बच्चे हैं उससे ज्यादा होने इसलिए
जरूरी हैं कि कभी झगड़ा हो गया तो मेरे
बच्चे पिटेंगे नहीं उसके बच्चे को ही पीट कन आएंगे
लेकिन पड़ोसी के बच्चे आपस में लड़ते हैं
तो व्या मेरे बच्चे भी आपस में लड़ेगे जरूरी है कि
लड़ेंगे जब लड़ेंगे तो रोएंगे शोर करेंगे मेरे पास
अपनी शिकायत लाएंगे मैं परेशान भी हो जाऊंगा
तब मेरा वह भी खराब हो जाएगा वह जो बड़े लोगों
का अव्सर खराब होता है यानी वो ही
जो बड़े आदमी कहते हैं कि उसका वो बिगड़ गया
मै भी बड़ा आदमी बन जाऊंगा उस वव्त इसलिए
मेरा भीवो खराब हो जाएगा बचों के शोर
झगड़े और अपने पास शिकायत लेकरआने से लेकिन
वो जो होता है उसका नाम तो याद नहीं आता

व्या इस सेठ से पूछ लूं

नहीं नहीं मैं इतना बड़ा आदमी हो गया हूं तो व्या
एक मामूली शब्द
को भी औरों से पूछूंगा नहीं पूछूंगा याद करता हूं
हां याद आया मूड जब बच्चे शोर करते आएंगे
अब्बा असलम ने मरा कुताई फाड़ दिया
अब्बाजान तौफीक ने मेरी आंखों में सन्तरे के
छिलके का रस निचोड़ दिया
उसने बहुत छोर से उछलकर शट अप कहा तो
उसका पैर रास्ते में फड़े एक पत्थर पर जा पड़ा और
वह घड़ाम से झाबे समेत जमीन पर जा गिरा
और सारे अण्डे फूट गए
शेख साहब माथा पकड़कर बैठ गये और चारों
ओर देखते  हुए रोने लगे

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