सुनीता अंजना ने हिंद सुनीता अंजना ने हिंद बड़ा हु
सुनीता अंजना ने हिंद सुनीता अंजना ने हिंद बड़ा हुस्ना रखे थे जब हिंदुस्तान का लड़की हंसी तो मुंह से फूल झरे
एक आदमी का साली ने उसे कहा तारो से पाठ शुरू टेलीफोन से बात करूं आपसे इतने दूर जीजा तुमसे कैसे मुलाकात करो
सागर में पानी है गागर में भरा नहीं जाता दिल में है जितनी बात जीजा जी को कहा नहीं जाता
घांव इतना गहरा है बयां क्या करे
हम खुद निशाना बन गये अब वार क्या करे
जान निकल गयी मगर खुली रही आंखें
अब इससे ज्यादा उनका इंतझार क्या करे
यह ख्वाइश हैं मेरी खुदा से
जिस चीज़ पे तू हाथ
रखे वो चीज़ तेरी हो और जिस से तू प्यार करे
वोह तकदीर मेरी हो
क्यों कोई अच्छा लगने लगता है
आहिस्ता आहिस्ता
खुमार इश्क का चढ़ता है क्यों
आहिस्ता आहिस्ता
सफर में ज़िन्दगी के
लोग तो बहुत मिलते
दिल में बस जाता कोई शख्स क्यों
अहिस्ता आहिस्ता
हम जिनके दीवाने है वो गैरों के गुण गाते थे
हमने कहा आपके बिन जी ना सकेंगे
तो हंस के कहने लगे
के जब हम ना थे तब भी तो जीते थे
उन्होंने अपना कभी बनाया ही नहीं
झूठा ही सही प्यार दिखाया ही नहीं
गलतियां अपनी हम मान भी जाते
पर क्या करें कसूर हमारा हमें बताया ही नहीं
हर प्यार में एक एहसास होता है
हर काम का एक अंदाज होता है
जब तक ना लगे बेवफाई की ठोकर
हर किसी को अपनी पसंद पे नाज़ होता है
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