न चाहो इतना चाहतों से डर लगता है - Sana shayari

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Saturday 22 December 2018

न चाहो इतना चाहतों से डर लगता है

न चाहो इतना चाहतों से डर लगता है


न चाहो इतना चाहतों से डर लगता है
ना आओ इतने करीब जुदाई से डर लगता है
तुम्हारे प्यार पर यकीं है मुझे
पर अपनी किस्मत से डर लगता है। वो जो हमसे नफरत करते हैं
हम तो आज भी सिर्फ उन पर मरते हैं
नफरत है तो क्या हुआ यारो,
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं।
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रस्मों रिवाज की जो परवाह करते हैं
प्यार में वो लोग गुनाह करते हैं
इश्क वो जुनून है जिसमें दीवाने
अपनी खुशी से खुद को तबाह करते हैं। आज फिर पल खूबसूरत है
दिल में बस तेरी ही सूरत है
कुछ भी कहे दुनिया हमें कोई गम नहीं
दुनिया से ज्यादा मुझे तेरी जरूरत है।

काटे ना कटे लमहे इंतजार की आंखें बिछाए बैठे हैं रास्ते में यार की
बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है  ना दिल से होता है
ना दिमाग से होता है
यह प्यार तो इत्तेफाक से होता है
पर प्यार करके प्यार ही मिले
ये इत्तेफाक किसी किसी के साथ होता है

काश वो नगमे सुनाये ना होते
आज उनको सुनकर ये आंसू आये ना होते
अगर इस तरह भूल जाना ही था
तो इतनी गहरायी से दिल में समाये ना होते  एक रात वो मिले ख्वाब में,
हमने पुछा क्यों ठुकराया आपने
जब देखा तो उनकी आँखों में भी आंसू थे
फिर कैसे पूछते क्यों रुलाया आपने. तुम क्या जानो तुम मेरे दिल में रहते हो धड़कन की तरह मेरे शबनम ना बदल जाना मौसम की तरह



काश वो नगमे सुनाये ना होते
आज उनको सुनकर ये आंसू आये ना होते

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