परिचय (Introduction)
आलू सब्जियों का राजा माना जाता है क्योंकि दुनिया भर में सब्जियों के रूप में समान आलू का उपयोग होता है, जैसा कि शायद अन्य किसी सब्जी का होता है। आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन "बी" और फॉस्फोरस बहुत अधिक मात्रा में होता है। आलू खाने रहने से रक्त वाहिनियों के बड़े आयु तक लचकदार बना रहता है और कठोर नहीं होने पाती। इसलिए आलू खाकर लम्बी आयु प्राप्त की जा सकती है।आलू को अनाज के न्यूनतम तापमान का स्थान प्राप्त है। सभी प्रकार के आलू शीतल, मलरोधक, मधुर, भारी, मल और मूत्र को उत्पन्न करने वाले, मुश्किल से पचने वाले और रक्तपात को मिटाने वाले हैं। यह कफ और वायु करने वाले, बलदायक, वीर्यवर्धक और अल्पमात्रा में शोधनशक्तिवर्धक भी हैं। अधिक परिश्रम के कारण उत्पन्न निर्बलता, रक्तपात से पीड़ित, शराबी और तेज जठराग्नि वाले लोगों के लिए आलू अत्यंत ही पोषक तत्व है।
आंखों का जाला एवं फूला :
बेरी-बेरी का सरलतम्फोर्द-सादा अर्थ है- "चल नहीं सकता" इस बीमारी से जंघोत्थान नाड़ियों में कमजोरी का लक्षण विशेष रूप से होता है। आलू पीसकर या दबाकर रस निकाल, एक चम्मच की मात्रा के हिसाब से प्रतिदिन चार बार पिलाएं। कच्चे आलू को चबाकर रसकलने से भी यह लाभ प्राप्त किया जा सकता है।यह रोग विटामिन "सी" की कमी से होता है। इस बीमारी की प्रारिम्भक अवस्था में शरीर और मन की शक्ति कमजोर हो जाती है अर्थात् रोगी का शरीर निर्बल, असमर्थ, मन्द और पीला-सा दिखाई देता है। थोड़े-से परिश्रम से ही सांस फूल जाती है। मनुष्य में सक्रियता के स्थान पर निष्क्रियता आ जाती है। रोग के कुछ प्रकट रूप में होने पर टांगों की त्वचा पर रोमकूपों के आसपास आवरण के नीचे से रक्तस्राव होने (खून बहने) लगता है। बालों के चारों ओर त्वचा के नीचे छोटे-छोटे लाल चकते निकलते हैं फिर धड़ की त्वचा पर भी रोमकूपों के आस-पास ऐसे बड़े-बड़े चकत्ते निकलते हैं। त्वचा देखने में खुश्क, खुरदुरी और सूखी लगती है। दूसरे शब्दों में-अति किरेटिनता (हाइपर केराटोसिस) हो जाता है। मसूढ़े पहले ही सूजे हुए होते हैं और इनसे खून निकलने का लगता है बाद में रोग बढ़ने पर टांगों की मांसपेशियों विशेषकर प्रसारक पेशियों से रक्तस्राव होने लगता है और तेज दर्द होता है। हृदय मांस से भी स्राव वाले हृदय शूल का रोग हो सकता है। नासिका आदि से खुले रक्तस्राव भी हो सकते हैं। हिसंकडों की कमजोरी और पूयस्राव भी बहुधा विटामिन “सी” की कमी से प्रतीत होता है। कच्चा आलू ब्लडट को दूर करता है।
बच्चों का पौष्टिक भोजन
ठंडी शुष्क हवाओं से हाथों की त्वचा पर झुर्रियां पड़ने पर कच्चे आलू को पीसकर हाथों पर मलना गुणकारी होते हैं। नींबू का रस भी इसके लिए समान रूप से उपयोगी है। कच्चे आलू का रस पीने से दाद, फुन्सियां, गैस, स्नायुविक और मांसपेशियों के रोग दूर होते हैं।कच्चा आलू साफ-स्वच्छ पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम आंख में काजल की भांति लगाने से पांच से छह: वर्ष पुराना जाला और चार साल तक का फूला तीन महीने में साफ हो जाता है।
आलू मोटापा नहीं बढ़ाता है। आलू को तलकर तीखे मसाले घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है। आलू को उबालकर या गर्म पानी या गर्म पानी में भूनकर खाना फायदेमंद है।
सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है जबकि सूखे चावलों में 6-7 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इस प्रकार आलू में अधिक प्रोटीन पाया जाता है। आलू में मुर्गियों के चूजों जैसी प्रोटीन होती है। बड़े आयु वालों के लिए प्रोटीन आवश्यक है। आलू की प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाली और वृद्धावस्था की कमजोरी दूर करने वाली होती है।
विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल):
आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं।आलू का रस निकालने की विधि: आलू को ताजे पानी से अच्छी तरह धोकर छिलके सहित कद्दूकस द्वारा इस लुगड़ी को कपड़े में दबाकर रस निकाल लें। इस रस को 1 घंटे तक ढक्कर रख दें। जब साराश, गूदा नीचे जम जाए तो ऊपर का निथरा रस अलग करके काम में लेंकच्चे आलू को सब्जी की तरह काट लें। जितना वजन आलू का हो, उसके लगभग 2 गुना पानी में उसे उबालें। जब केवल एक भाग पानी शेष रह जाए तो उस पानी से चोट से उत्पन्न सूजन वाले अंग को धोकर सेंकने से लाभ होगा।
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